उतर प्रदेश के बरेली में छात्र का फर्जी एनकाउंटर करने के मामले में पूर्व यूपी पुलिस के दरोगा को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वहीं सजा के साथ 20 हजार रुपये का जुर्माना भी कोर्ट ने लगाया है. 31 साल चले मुकदमे में कोर्ट ने अब सजा सुनाई है. तत्कालीन इंस्पेक्टर युद्धिष्ठिर सिंह ने छात्र का एनकाउंटर किया था . बता दें बरेली शहर का चर्चित मुकेश जौहरी उर्फ लाली एनकाउंटर मामले में आखिर 31 साल बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिला है।
मुकेश जौहरी उर्फ लाली के पीठ पर गोली मारकर हत्या करने वाले सेवानिवृत्त दारोगा युधिष्ठिर सिंह को हत्या के आरोप में कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई. साथ ही कोर्ट ने 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. फैसला आते ही लाली के तीनों भाईयों की आंखों में खुशियों के आंसुओं के सैलाब थे. तीनों भाईयों की जुबान पर एक ही शब्द थे, काश केस लड़ने वाले बड़े भाई और उनकी मां आज जिंदा होती तो परिवार में खुशियां दोगुना हो जाती. लाली के भाई अनिल जौहरी ने बताया कि उनके भाई अरविंद जौहरी ने मां के निधन के बाद इस केस को लड़ा था. जिसका दो अक्टूबर 2022 में निधन हो गया था. अनिल ने रोते हुए कहा, बरेली से लेकर दिल्ली तक मेरी मां न्याय के लिए दौड़ी थी।
मुठभेड़ में मारा गया था भाई, केस लड़ते-लड़ते मां और बड़े भाई का निधन
मीडिया को जानकारी देते हुए अनिल जौहरी ने रोते हुए बताया कि उनकी मां ने भाई को न्याय दिलाने के लिए बरेली से लेकर दिल्ली तक दोड़ती रही. अगस्त 2001 में उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद मामले को उसके परिवार ने आगे बढ़ाया. मुठभेड़ में मारे गए उनके भाई की मौत से दुखी उनके पिता विरेश्वर नाथ का भी तीन महीने बाद ही निधन हो गया था. साथ ही बताया कि मेरी मां की आखिरी इच्छा मुकेश के लिए न्याय सुनिश्चित करना था. इस घटना के बाद से हमारा पूरा परिवार परेशान था. हमारे सबसे बड़े भाई, अरविंद जौहरी ने इस केस को अधिवक्ता के रूप में लड़ते रहे. हालांकि, उनका भी 2022 में निधन हो गया।
दरोगा ने किया था लूट का झूठा मुकदमा दर्ज
अनिल जौहरी ने बताया कि दरोगा युधिष्ठिर सिंह ने उनके भाई लाली के खिलाफ लूट का झूठा मुकदमा लिखा कर उसके परिवार पर लूट का कलंक लगाया था. जो आज न्यायालय ने उसे हत्यारा करार देते हुए सजा सुनाया. उसके परिवार पर लगे कलंक को कोर्ट ने सजा सुना कर धूल दिया. साथ ही कहा कि झूठे दरोगा ने लाली पर आरोप लगाया था, कि वह पिंक सिटी वाइन शाप के सेल्समैन से लाली को झगड़ते हुए देखा था. एक व्यक्ति ने जबरन दुकान से शराब की बोतल उठा ली तो दूसरे ने दुकानदार के गल्ले में हाथ डाल दिया. सेल्समैन के विरोध करने पर एक व्यक्ति ने सेल्समैन पर तमंचा तान दिया. सेल्समैन राजेश जायसवाल को जब यह कहानी पता चली तो वह हैरान रह गया. उसने बाकायदा शपथपत्र दिया कि हमारे साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई. लिहाजा, सेल्समैन का शपथ पत्र दरोगा की करतूत खोलने में सबसे अहम पहलू बना।
दरोगा ने थाने में जमकर की थी पिटाई
बताया गया कि दरोगा ने थाने में बैठा कर जमकर पिटाई की थी और लाली को गंभीर रूप से घायल कर दिया था वही अनिल ने बताया कि लाली को गोली मारने की खबर मिलते ही भाई पंकज थाने पहुंचे, जहां दरोगा युधिष्ठिर सिंह ने पंकज को बैठा कर उनकी जमकर पिटाई की. रातभर उसे थाने में बैठाया रखा जिससे वह मामले में शिकायत ना कर सके।
अनिल बताते-बताते फिर से रोते हुए बोले कि इसी बीच उसके भाई लाली को फिर से दो गोली मारी गई, फिर जिला अस्पताल ले जाया गया. तय योजना के तहत ही घटनास्थल कोतवाली क्षेत्र दिखाया गया. मां चंद्रा जौहरी हत्याकांड में रिपोर्ट लिखाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद सीबीसीआइडी को जांच सौंपी गई और आज दरोगा सलाखों के पीछे पहुंचा।
दरोगा का अपराध यहीं नहीं रूका
भाई ने आगे बताया कि लाली की हत्या के बाद भी दरोगा युधिष्ठिर का अपराध लगातार चलता रहा. अपनी रची गई कहानी को सही दिखाने के लिए उसने वारदात से पिछली तारीक में भाई की हिस्ट्रीशीट खुलवा दी. यह तब किया गया जब भाई के खिलाफ किला थाने के अलावा किसी थाने में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं थी. किला थाने में भी जो रिपोर्ट लिखी गई, वह सब खत्म हो गईं. फिर भी दरोगा का अपराध लगातार जारी रहा।
सजा होते ही फफक कर रोने लगा आरोपी दरोगा
बताते चलें पूरे मामले में कोर्ट में सुनवाई के बाद जब आरोपी दरोगा युधिस्टर को उम्र कैद की सजा सुनाई तो वह एकदम चकित रह गया और कटघरे में खड़े होकर बुरी तरीके से रोने लगा कि साहब सजा बहुत है. मैं इस सजा को काट नहीं सकता साहब.. हाथ जोड़कर निवेदन है सजा को कम कर दीजिए और यह बात कहकर दरोगा बेहोश हो गया. कोर्ट में खड़े वकीलों ने दरोगा को पानी पिलाया और कुछ मिनटों बाद दरोगा को होश आया. जब दरोगा को पुलिस वाले हथकड़ी डालकर जेल ले जा रहे थे तो दरोगा फफक फफककर रो रहा था।