भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोककल्याण योजनाओं के जरिए अपना जनाधार बढ़ाने को लेकर तरह-तरह के अभियान चलाने शुरू कर दिए हैं. बीजेपी ने अपने वोट के अंक गणित में इजाफा करने के लिए हर वो मुमकिन कोशिश शुरू कर दी है जिससे 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत का रास्ता आसान हो सके. इसी कोशिश में बीजेपी ने समाज के हाशिये पर खड़े लोगों को जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है यानि समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े अनुसूचित जाति के लोगों तक आउटरीच प्रोग्राम शुरू करने का निर्णय लिया है।
इसी क्रम में बीजेपी ने समाज के करीब 18 फीसदी वोट बैंक तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए पहल शुरू करने का फैसला किया है. अब बीजेपी की नजर दलित समाज और अनुसूचित जाति के बड़े वोट बैंक पर टिकी है. इस समाज में अपनी धाक और पैठ बढ़ाने के लिए बीजेपी ने एक बड़े अभियान को जल्द ही शुरू करने का निर्णय लिया है. बीजेपी ने अनुसूचित जाति मोर्चा के जरिए इस वर्ग को साधने के लिए 14 अप्रैल से 5 मई तक देश भर के दलित बस्तियों में प्रवास करने का फैसला लिया है।
दलित और मलिन बस्तियों का दौरा करेंगे नेता
दलित आवाज के मसीहा माने जाने वाले बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की जयंती पर 14 अप्रैल से “घर-घर जोड़ो” अभियान चलाने का फैसला लिया गया है. ये अभियान अंबेडकर जयंती से शुरू होकर 5 मई तक चलेगी. 21 दिनों का ये अभियान 5 मई को बुद्ध जयंती तक चलेगा. सामाजिक रूप से समता मूलक समाज की पैरोकारी का मंत्र देने वाले भगवान बुद्ध की जयंती तक पार्टी के नेता दलित और मलिन बस्तियों के दौरे पर होंगे और वे वहां रहने वालों के समस्याओं से निजात दिलाने की कोशिश करेंगे।
इस अभियान के तहत बीजेपी ने सरकारी योजनाओं के लाभ से अब तक वंचित दलित परिवारों को योजनाओं का लाभ दिलाने की योजना बनाई है. जैसे यदि किसी को पक्का मकान नहीं मिला, टॉयलेट नहीं मिला, जॉब कार्ड नहीं बना, राशन/पहचान पत्र बनवाने में दिक्कत आ रही हो या फिर केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे अन्य किसी भी योजना का लाभ नहीं मिला हो, वैसे लोगों को तत्काल मदद की जाएगी।
वंचित तबके तक सुविधा देने की कोशिश
केंद्र सरकार के तमाम योजनाओं के लाभार्थी वर्ग से संपर्क का कार्यक्रम पहले से ही बीजेपी को तमाम राज्य स्तरीय चुनाव में फायदा पहुंचा रहा है, उसी आधार पर समाज के वंचित समाज के जो लोग मोदी सरकार की योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रह गए हैं उनको लाभार्थी वर्ग में शामिल करने के लिए बीजेपी इस अनोखे अभियान की शुरुआत करने जा रही है।
हकीकत में बीजेपी एससी मोर्चा को जानकारी हासिल हुई है कि लालफीताशाही के कारण बड़ी संख्या में पात्र दलित परिवार सरकारी दस्तावेज नहीं होने की वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं लिहाजा वो जनसंपर्क चलाकर इस वर्ग के वंचित लोगों को पार्टी से सीधे जोड़ने के लिए मदद करना चाहती है।
बीजेपी के एससी मोर्चा के अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने टीवी9 भारतवर्ष को बताया कि पार्टी ने “घर-घर जोड़ो” अभियान के जरिए लोगो को मदद की योजना बनाई है।
देशभर में SC कोटे की 84 लोकसभा सीट
यहां यह जानना जरूरी है कि देश में एससी रिजर्वेशन वाली 84 लोकसभा सीटें हैं इनमें से बीजेपी ने महज 46 सीटें ही 2019 के लोकसभा चुनाव में जीते थे. अब बीजेपी ने “घर-घर जोड़ो” अभियान यानी ‘लाभार्थी बनाओ अभियान’ और उन लाभार्थियों को पार्टी से जोड़ने के अभियान के तहत इन 84 में से 60-70 सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर लिया है।
खास बात यह है कि अनुसूचित जाति के लोग उन राज्यों में बड़ी संख्या में हैं जहां बीजेपी की स्थिति फिलहाल बहुत मजबूत नहीं है. पार्टी को भरोसा है कि इन राज्यों के दलित वर्ग तक तमाम कार्यक्रम के जरिए पहुंच बनाकर अपनी स्थिति को और मजबूत किया जा सकता है. मसलन पंजाब में एससी वोटरों की संख्या 34% फीसदी, हिमाचल प्रदेश में 25%, पश्चिम बंगाल में 28 फीसदी है. इसके आलावा इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव वाले राज्यों की बात करें तो राजस्थान में 18% , छत्तीसगढ़ में 13%, मध्य प्रदेश में 17%, तेलंगाना और कर्नाटक में भी 15% अनुसूचित जाति का वोट है।
मध्य प्रदेश में दलित समाज को आकर्षित करने के लिए बीजेपी “घर-घर जोड़ो” अभियान से पहले ग्वालियर में अंबेडकर महाकुंभ जैसे कार्यक्रम करने जा रही है. दलित समाज से जुड़ा दूसरा कार्यक्रम इंदौर में भी प्रस्तावित है. वहीं कुछ महीनों में कर्नाटक में चुनाव होने हैं, यहां बीजेपी 17 फीसदी एससी समाज को जोड़ने के लिए 2 मार्च से हर विधानसभा क्षेत्र में करीब 41 सभाएं कर रही है जो आगामी 30 मार्च तक चलेगा।
बीजेपी समूचे एससी समाज में आउटरीच प्रोग्राम चलाकर समाज कल्याण का मैसेज देते हुए उनके करीब 18 फीसदी वोट बैंक पर नजर टिकाए हुई है।