भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को रात आठ बजे देश को संबोधित करते हुए उसी मध्यरात्रि से अगले 21 दिन तक के लिए पूरे देश में’टोटल लॉकडाउन’का ऐलान किया था लेकिन भारत की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में बुधवार की शाम को जो अफ़रा-तफ़री दिखी उसने लॉकडाउन के उद्देश्य को ही ख़तरे में डाल दिया है.
भारत में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन इस महामारी से बचने का ‘एकमात्र तरीक़ा’बताया गया है. मक़सद था सोशल डिस्टेंसिंग यानी लोगों में पर्याप्त दूरी बनाए रखने का, जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण का ख़तरा कम से कम रहे.
बहरहाल, सामान ख़रीदने या पैनिक बाइंग की जो होड़ या मारा-मारी पीएम की घोषणा के बाद दिखी थी, कुछ वैसा ही मंज़र फिर बुधवार 9 अप्रैल की शाम उत्तर प्रदेश में दिखा. दोपहर से ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि उत्तर प्रदेश के कोरोना प्रभावित ज़िलों को सील कर दिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश के लगभग हर ज़िले में दोपहर से ही लोगों में राशन,सब्ज़ियाँ, दूध और दवाइयाँ ख़रीदने की होड़ मच गई क्योंकि सोशल मीडिया और कुछ न्यूज़ चैनलों पर ऐसी ख़बरें चल रहीं थी कि प्रदेश सरकार कई ज़िलों को पूरी तरह सील करने जा रही है.
सील किए जाने का मतलब क्या है और वे ज़िले कौन से होंगे इसको लेकिन स्पष्ट जानकारी की कमी दोपहर बाद तक थी जबकि लोगों में घबराहट फैलनी शुरू हो गई थी.