चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस जे बी. पारदीवाला की पीठ ने मामले के कई आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तारीख तय की. इसने दोनों पक्षों के वकीलों को एक समेकित चार्ट दाखिल करने के लिए कहा, जिसमें उन्हें दी गई वास्तविक सजा और अब तक जेल में बिताई गई अवधि जैसे विवरण दिए गए हों।
क्या बोले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता?
गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘हम उन दोषियों को मृत्युदंड देने के लिए जोर देंगे जिनके मृत्युदंड को आजीवन कारावास (गुजरात हाई कोर्ट द्वारा) में बदल दिया गया था. यह दुर्लभतम मामलों में से एक है, जहां महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था.’ उन्होंने कहा कि यह सब जानते हैं कि बोगी को बाहर से बंद कर दिया गया था और महिलाओं एवं बच्चों सहित 59 लोग मारे गए।
निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा
विवरण देते हुए, कानून अधिकारी ने कहा कि 11 दोषियों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी और 20 अन्य को मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट ने मामले में कुल 31 लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा और 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
मेहता ने कहा कि राज्य सरकार 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ अपील लेकर आई है. उन्होंने कहा कि कई आरोपियों ने मामले में अपनी दोषसिद्धि को बरकरार रखे जाने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है।