पूर्व आईपीएस अधिकारी राम नारायण सिंह के नोएडा सेक्टर-50 स्थित घर के बेसमेंट में बने निजी लॉकर मामले में एक नया खुलासा हुआ है। इन लॉकरों का किराया चेक से नहीं बल्कि नकद में चुकाया जा रहा था। जानकारी के अनुसार, लॉकर में मिले करोड़ों रुपये और उसका कोई दावेदार अब तक सामने नहीं आने से स्पष्ट है कि कालेधन को छिपाने के लिए नकद में किराया दिया जा रहा था। आयकर विभाग के मुताबिक, पूरे मामले की जांच रिपोर्ट तैयार होगी।
आयकर विभाग की जांच के मुताबिक, जिन चार लॉकरों में 5.77 करोड़ रुपये मिले हैं, उनका किराया नकद में जमा किया जा रहा था। वहीं, जेवरात और सोने के बिस्किट मिले लॉकर का किराया चेक में दिया जा रहा था। अधिकारी बताते हैं कि लॉकर का किराया नकद या चेक किसी भी प्रकार से दिया जा सकता है। यदि व्यक्ति को क्लेम प्राप्त करना होता है तो किराये का भुगतान चेक से करता है। इस मामले में कोई दावेदार सामने नहीं आया है। इससे तय है कि कालाधन छिपाने के उद्देश्य से नकद में किराया दिया जाता था।
पिछले हफ्ते शनिवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी के घर के बेसमेंट में बने 650 लॉकरों की आयकर विभाग ने जांच शुरू की थी। चार लॉकर से बरामद 5.77 करोड़ रुपये विभाग कब्जे में ले चुका है। वहीं 2.78 करोड़ रुपये के गहने व सोने के बिस्किट को सरकारी संरक्षण में रखे गए हैं। जिन लोगों के दस्तावेजों पर लॉकर किराए पर लिए गए हैं, उनसे दोबारा पूछताछ कर विभाग उन लोगों तक पहुंचेगा, जिन्होंने फर्जीवाड़ा कर कालाधन रखा था।
बता दें कि, नोएडा सेक्टर-50 के इस घर में राम नारायण सिंह का बेटा सुयश और उसका परिवार रहता है। पूर्व आईपीएस अधिकारी और उनकी पत्नी मिर्जापुर में रहते हैं। आयकर विभाग को इस घर के अंदर काफी मात्रा में नकदी रखे होने की सूचना मिली थी। आयकर की टीम जब घर के अंदर पहुंची तो बेसमेंट के अंदर लगभग 650 प्राइवेट लॉकर मिले। यह लॉकर अन्य लोगों के बताए जा रहे हैं, जिन्हें किराए पर दिया जाता था।