दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह द्वारा गठित नौ सदस्यीय समिति ने सिफारिश की है कि प्रवेश प्रक्रिया में पर्याप्त निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय एक सामान्य प्रवेश परीक्षा आयोजित करें।
समिति की यह सिफारिश केरल से शत प्रतिशत स्कोर करने वालों की उच्च संख्या पर जारी विवाद के बीच आई है। डीन (परीक्षा) डी एस रावत की अध्यक्षता में गठित एक समिति को स्नातक पाठ्यक्रमों में अधिक और कम प्रवेश को लेकर कारणों की जांच करनी थी, सभी स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के बोर्ड-वार वितरण का अध्ययन करना था, स्नातक पाठ्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रवेश के लिए वैकल्पिक रणनीति का सुझाव देना था और गैर क्रीमी लेयर स्थिति के संदर्भ में ओबीसी प्रवेश की जांच करनी थी।
समिति ने कट-ऑफ आधारित प्रवेश के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि सीबीएसई बोर्ड से छात्रों का सबसे ज्यादा प्रवेश हुआ। इसके बाद केरल उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, स्कूल शिक्षा बोर्ड, हरियाणा, आईसीएसई और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान का स्थान है
कट-ऑफ व्यवस्था में बदलाव जरूरी बताया
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जब तक विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश कट-ऑफ आधारित हैं, तब तक कोई रास्ता नहीं है कि उतार-चढ़ाव, जो कभी-कभी महत्वपूर्ण हो जाता है, उसे निष्पक्षता बनाए रखने के लिए टाला जा सकता है।
विभिन्न बोर्डों द्वारा दिए गए अंकों को सामान्य करने का कोई भी प्रयास एक फॉर्मूला तैयार करने के खतरे से भरा हो सकता है, जो किसी पैमाने पर या अन्य पर समान नहीं हो सकता है। रिपोर्ट में विभिन्न बोर्डों के अंकों का सामान्यीकरण करने पर कानून की अदालत में चुनौती दिये जाने पर इसके वैधता की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाने की बात पर गौर करते हुए कहा गया है कि कट-ऑफ आधारित प्रवेश और न ही विभिन्न बोर्डों द्वारा दिए गए अंकों के सामान्यीकरण के माध्यम से प्रवेश ऐसे विकल्प हैं, जो प्रवेश में अधिकतम निष्पक्षता दिखाते हैं।